शुक्रवार, 5 जून 2009

कब्ज़ का प्राकृतिक इलाज

आज के समय में कब्ज़ से बड़ी संख्या में लोग पीड़ित हैं. हालाँकि कब्ज़ की समस्या किसी को भी हो सकती है, पर वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है की स्त्रियाँ और पैंसठ वर्ष की आयु से अधिक के लोग इससे ज्यादा पीड़ित रहते हैं. महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान, प्रसूति या सर्जरी के बाद, और कुछ विशेष प्रकार की दवाएं (जैसे दर्दनिवारक) लेने के उपरांत भी कब्ज़ की समस्या कुछ अधिक देखने में आती है. कब्ज़ से पीड़ित होना कष्टकारी भी हो सकता है और कई बार यह शर्मिंदगी का कारण भी बन सकता है. पर ज़्यादातर मामलों में कब्ज़ एक अस्थाई समस्या ही होती है, अगर इसके कारणों, रोकधाम और इलाज के बारे में जानकारी ले ली जाए तो इससे आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है.

कब्ज़ होने के कई कारण हैं - उदहारण के लिए; पर्याप्त शारीरिक व्यायाम ना करना, रेशेदार पदार्थों (फाइबर) का कम सेवन, कम पानी पीना, अनियमित भोजन, खाना ठीक से ना चबाना, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों (रिफाइंड फ़ूड) जैसे मैदा, वनस्पति घी, चीज़ का अधिक सेवन. इनके आलावा भी कई कारण हो सकते हैं कब्ज़ के. इस लेख में हम विषयवस्तु को कब्ज़ के प्राकृतिक और घरेलू उपचार तक केन्द्रित रखेंगे.

1. पानी नियमित रूप से पियें. दिन में कम से कम छः गिलास पानी आपके पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में सहायता करेगा. ज्यादा पानी पीने से आंतों में नमी बनी रहती है जिससे की भोजन जल्दी पचता है और आंतें अपशिष्ट पदर्थों सरलता से विसर्जित करती हैं. ध्यान रखें की शराब और चाय, कॉफी या कोला पेशाब की मात्र बढा सकते हैं जिससे की शारीर में जल की कमी हो सकती है.

2. भुनी हुई उड़द (छिलके सहित) गेहूं की रोटी में मिलाकर खाने से कब्ज़ में आराम मिलता है.

3. गुड़ भी एक काफी अच्छा और प्राकृतिक कब्ज़निवारक और दस्तावर पदार्थ है. हालाँकि इसका स्वाद बहुत ज्यादा मीठा होता है, इसे आप दूध या भोजन के साथ ले सकते है. रोज़ दो चम्मच गुड़ कब्ज़ के लिए पर्याप्त है. पर ध्यान रखें की गुड शक्कर का ही एक प्रकार है, इसमें कैलोरी शक्कर जितनी ही होती है.

4. पत्तागोभी उबाल कर पानी बचा लें. यह पत्तागोभी का पानी दिन में दो बार पियें. यह कब्ज़ का बहुत ही असरदार उपचार है.

5. नाश्ते से पहले और रात के भोजन के बाद आम का सेवन करें. आम कब्ज़ में बहुत ही लाभदायक है. बेर या अंजीर का सेवन भी आप कब्ज़ से रहत पाने के लिए कर सकते हैं.

6 अगर आप पुरानी कब्ज़ से पीड़ित है तो पानी में रातभर भिगोकर रखे अंजीर सुबह-सुबह सेवन करें और बचे हुए पानी को पी लें. भले ही कितनी भी पुरानी कब्ज़ हो यह उपाय आपको शौचालय की ओर भागने मजबूर कर देगा.

7. ताम्बे के बर्तन में रातभर रखा हुआ पानी सुबह उठाते ही पियें. इस उपाय को भारतीय गांवों में सामान्यतः प्रयोग किया जाता है.

8. गेंहू के चोकर का प्रयोग करके देखें, सफ़ेद चावल के स्थान पर पसई के चावलों (ब्राउन राइस) का प्रयोग करें. जिन खाद्य पदार्थों में चोकर (फाइबर) की कम मात्रा होती है वे कब्ज़ पैदा करने में विशेष भूमिका निभाते हैं. चोकर और छिलके वाला अनाज मोटे रेशों से भरपूर होता है. रेशे (फाइबर) पाचन तंत्र में बिना पचे ही रह जाते है. फाइबर का काम आंतों के अपशिष्ट पदार्थ को नम और भारी बनाना है, जिससे की मल आंतों से आसानी से और जल्दी निकल जाता है.

9. फलों एवं सब्जियों का जितना अधिक हो सके सेवन करें. इसमें घुलनशील रेशों की मात्रा अधिक होती है.

10. नियमित रूप से कुछ शारीरिक व्यायाम करें. टहलना, साईकिल चलाना या जिम या योग -- किसी भी प्रकार के व्यायाम द्वारा अपने शारीर को गतिशील रखें. कम मेहनत कब्ज़ का प्रमुख कारण है.

11. भोजन के पहले एक चम्मच अलसी का ताज़ा चूर्ण पानी के साथ लें. इसमें फाइबर की भरपूर मात्रा होती है. यह कब्ज़ का सबसे प्राकृतिक और रामबाण इलाज है.

12. नीबू का दो चम्मच ताज़ा रस कुनकुने पानी के साथ दिन में दो बार लें.

ये कुछ घरेलू नुस्खे है, जो सदियों से कारगर हैं, आपके रसोईघर में ये सारी वस्तुएं मिल जाएँगी. अगर इनसे भी आपकी कब्ज़ की समस्या पर कोई असर पड़ता ना दिखे तो तुंरत किसी अच्छे चिकित्सक से संपर्क करें. मेडिकल स्टोर्स पर कब्ज़ के लिए कई औषधियां आप बिना चिकित्सक की सलाह के खरीद सकते हैं, पर यह दवाएं घरेलू नुस्खों जितनी सुरक्षित नहीं होती. कब्ज़ एक जीवनशैली से सम्बंधित रोग है, इसका इलाज प्राकृतिक रूप से करना ही ठीक है.